RAJ THACKREY ने लाउडस्पीकर को लेकर एक बार फिर दी चेतावनी, यूनीफॉर्म सिविल कोड को लेकर दिया बड़ा बयान

By Sameeksha dixit On April 13th, 2022
RAJ THACKREY

RAJ THACKREY का गुस्सा इस बार सर चढ़ कर बोल रहा है, RAJ THACKREY ने इस बार साफ़ कह दिया है की 3 मई से मस्जिदों के सामने बजाएंगे हनुमान चालीसा. इसके साथ ही उन्होंने समान नागरिक सहिंता (UNIFORM CIVIL CODE) बनाने की भी मांग की. जिसके चलते अब सियासत और गरमा चली है, इसके साथ उन्होंने ने ईडी से भी नोटिस आने की बात का खुलकर जिक्र किया.

RAJ THACKREY ने दी सख्त हिदायत

 

वैसे तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे (RAJ THACKREY) अपने सख्त वक्तव्य के लिए जाने जाते हैं और इस बार उन्होंने अपनी पुणे की रैली में साफ़ हिदायत दी है. इस बार मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाने चाहिए वरना महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ता मज्ज़िदो के सामने हनुमान चालीसा बजायेंगे उनके इस बयान के बाद से पूरे देश में बवाल मच गया.(UNIFORM CIVIL CODE) बनाने की मांग प्रधानमंत्री मोदी (PM MODI) से की और RAJ THACKERY ने सिर्फ इतना ही नहीं कहा बल्कि उन्होंने कहा की

” अब मैं PM MODI से मांग कर रहा हूँ की, इस देश में समान नागरिक सहिंता (UNIFORM CIVIL CODE) लाये और आबादी पर रोक लगाये, ये बहुत ज़रूरी है. विपक्ष के लोग बोल रहे हैं की मुझे ईडी का नोटिस आया तभी मैं बीजेपी के पक्ष में बोल रहा हूँ, लेकिन मैं ईडी – वीडी से घबराने वाला नहीं हूँ. मैं पहला शख्स था जिसने कहा था की इस देश में PM MODI जैसा प्रधानमंत्री होना चाहिए, बेवजह आलोचना क्यों करू?”

समान नागरिक सहिंता (UNIFORM CIVIL CODE) क्या है ?

 

(UNIFORM CIVIL CODE)  को हिंदी भाषा में समान नागरिक संहिता कहा जाता है. इसका मतलब यह होता है कि देश के हर शहरी के लिए एक जैसा कानून लागू हो. इसके तहत एक शहरी किसी भी धर्म-मज़हब से संबंध रखता हो, सभी के लिए एक ही कानून होगा. इसको धर्मनिर्पेक्ष कानून भी कहा जा सकता है. अब सोच रहे होंगे कि देश का कानून तो सभी के लिए बराबर है, तो हां आप सही सोच रहे लेकिन इसका मतलब विवाह, तलाक और जमीन जायदाद के मामलों में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा.

समान नागरिक सहिंता (UNIFORM CIVIL CODE) पर न्यायालय का रुख: 18 नवंबर, 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा कि समान नागरिक संहिता अनिवार्य है. न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एकल-न्यायाधीश पीठ अंतरधार्मिक जोड़ों द्वारा मांगी गई सुरक्षा से संबंधित 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन दलीलों में पार्टियों में से एक ने कहा कि उन्होंने अपने साथी के धर्म में धर्मांतरण किया और इस तरह अपने जीवन, स्वतंत्रता और भलाई के लिए खतरा महसूस किया.

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