पाकिस्तान के पूर्व पीसीबी चेयरमैन ने किया बड़ा दावा कहा- बीसीसीआई पर बोर्ड के लोगो का नहीं बल्कि इनका का पॉवर

By Twinkle Chaturvedi On May 12th, 2022
पाकिस्तान के पूर्व पीसीबी चेयरमैन ने किया बड़ा दावा कहा- बीसीसीआई पर बोर्ड के लोगो का नहीं बल्कि इनका का पॉवर

भारत और पाकिस्तान जब क्रिकेट के मैदान में उतरते है तो वह क्षण किसी विश्व युध्द से कम नहीं होता। भारत और पाकिस्तान आखिरी बार टी-20 विश्व कप 2021 में आमने-सामने टकराए थे। दोनों टीमों ने एक साथ कोई सीरीज 2012 में खेली थी जब पाकिस्तान भारत दौरे के लिए आई थी उसके बाद से राजनीतिक मुद्दों के कारण दोनों टीमों ने एक साथ कोई सीरीज नहीं खेली है। पाकिस्तान के पूर्व पीसीबी चेयरमैन का एक बयान क्रिकेट जगत में सनसनी मचा रहा है जिसमें उन्होने कहा है कि- बीसीसीआई (BCCI) को भाजपा (BJP) सरकार चलाती है।

बीसीसीआई सौरव गांगुली के पास है लेकिन इसे चलाता कोई और है- पूर्व पाकिस्तान चेयरमैन

BCCI is run by BJP government, claims former Pakistan Cricket Board chairman Ehsan Mani- The New Indian Express

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PAKISTAN CRICKET BOARD) के पूर्व चेयरमैन एहसान मनी (EHSAN MANI) ने क्रिकेट पाकिस्तान को दिए गए अपने एक इंटरव्यू में कहा-

” हालांकि बीसीसीआई (BCCI) भले ही सौरव गांगुली (SOURAV GANGULY)  के पास हैं लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि उनके बोर्ड के सचिव कौन हैं? अमित शाह के बेटे जय शाह। बीसीसीआई कोषाध्यक्ष भाजपा के एक मंत्री का भाई है। असली नियंत्रण उन्हीं के पास होता है और बीजेपी बीसीसीआई को हुक्म देती है इसलिए मैंने उनके साथ समझौता नहीं किया। मैंने उन्हें कभी ठुकरा नहीं दिया लेकिन मैं अपनी ईमानदारी का त्याग नहीं करना चाहता था।’

एहसान मनी का कहना है कि भाजपा बीसीसीआई को हुक्म देती है इसलिए भारत और पाकिस्तान के बीच कोई क्रिकेट मैच नहीं हो पा रहे है। उन्होने कहा बीसीसीआई भाजपा के कंट्रोल में है इसलिए वो कोई समझौता नहीं करना चाहते है।

अध्यक्ष के फैसले पर चीफ दखल-अंदाजी नहीं कर सकते है- एहसान मनी

Ehsan Mani Set For Another Three-Year Term as Pakistan Cricket Board Chairman

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बारे में बात करते हुए एहसान मनी ने कहा कि-

” जब मैं पीसीबी अध्यक्ष था, तो हमने कानून में बनाया था कि अगर अध्यक्ष का प्रदर्शन संदिग्ध है तो चीफ इस पर सीधे दखल-अंदाजी नहीं कर सकते हैं। केवल बोर्ड के पास यह अधिकार है कि वो इसके बारे में कुछ करें। चीफ के पास केवल आठ बोर्ड सदस्यों में से दो की सिफारिश करने का अधिकार है और यह बोर्ड पर निर्भर है कि वे अगले अध्यक्ष के रूप में किसे नियुक्त करना चाहते हैं। मैंने कोशिश की लेकिन कोशिश करने में असफल रहा यह सुनिश्चित करने के लिए कि संरक्षक का कोई नामांकित व्यक्ति न हो।”

 

 

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