क्रिकेट जगत की राजनीती में चौपट हो गया इन 5 दिग्गज खिलाड़ियों का करियर, एक भारतीय क्रिकेटर भी है शामिल

By Satyodaya Media On June 13th, 2022
क्रिकेट जगत की राजनीती में चौपट हो गया इन 5 दिग्गज खिलाड़ियों का करियर, एक भारतीय क्रिकेटर भी है शामिल

इंडिया में क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं है धर्म की तरह देखा जाता है. इस खेल का फैन्स केवल शानदार पहलू ही जान पाते है और खराब पहलू की तरफ कोई ध्यान नहीं देता है. क्रिकेट में भी आपको राजनिति देखने को मिल जाती है. बीते कुछ वर्षों में कई टैलेंटेड क्रिकेटर्स ने अपने मैनेजमेंट या अपने आसपास की राजनीति के चलते करियर को घटते देखा है. जरूरी नहीं की इसमें खिलाड़ी की कोई गलती ना रही हो लेकिन मुख्य कारण बोर्ड से विवाद ही रहा है. तो चलिए नजर डालते है ऐसी ही 5 खिलाड़ियों के बारे में जिनका क्रिकेट करियर राजनीती के कारण खराब हुआ.

1.बासित अली

बासित अली एक पाकिस्तानी क्रिकेटर थे जो जावेद मियांदाद के रिप्लेसमेंट के तौर पर टीम में शामिल किये गये थे. जब टीम में उनको शामिल किया गया था तो उनकी उम्र 22 साल की थी. इस मैच में उन्होंने काफी आक्रामक बल्लेबाजी की थी. उन्होंने उस समय का दूसरा सबसे तेज़ शतक भी लगाया था.

इस मैच के बाद उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन साल 1995-96 के बीच में उनकी परफॉरमेंस में कमी देखने को मिली और इसी के चलते वर्ल्ड कप में उनकी जगह टीम में सुनिश्चित नहीं हुई. पर वर्ल्ड कप के बाद यह खुलासा किया कि “उन्होंने जावेद मियांदाद के लिए वर्ल्ड कप में रास्ता बनाया था जो विश्व कप के दौरान सबसे अच्छे प्रदर्शन का रिकॉर्ड बनाना चाहते थे”. इनके इस कथन के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बासित अली को फिर कभी टीम में जगह नहीं दी और इस शानदार क्रिकेटर का करियर का अंत हो गया.

2. अंबाती रायडू

अंबाती रायडू एक समय में इंडियन टीम के लिए एक काफी प्रतिभावान युवा खिलाड़ी के तौर पर शामिल किये गये थे. इंटरनेशनल क्रिकेट में अपने स्वभाव की वजह से वो हमेशा ही निशाने पर रहे है. रायडू 2015 के दौरान विश्व कप में तो जगह नहीं बना सके थे, लेकिन 2019 के वर्ल्ड कप में नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन नए आलराउंडर विजय शंकर की वजह से उन्हें अपनी जगह टीम से खोनी पड़ी.

इसके बाद उनको टीम में जगह नहीं मिली तो रायडू ने ट्विटर का सहारा लिया और अपनी भड़ास निकली.. इस हरकत की वजह से BCCI ने उनपर कभी ध्यान न देते हुए उन्हें टीम से बिलकुल ही बाहर कर दिया . अंत में उन्हें वापसी का रास्ता न दिखाई दिया तो संन्यास ही लेना पड़ा.

3. साइमन कैटिच

ऑस्ट्रेलिया के साइमन कैटिच एक काफी प्रतिभावान खिलाड़ी थी. साइमन ने 2001 के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सीरीज में डेब्यू किया. लेकिन वो कभी भी टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए हमेशा ही वो टीम से अंदर बाहर होते रहे. टॉप आर्डर में मैथ्यू हैडन एवं जस्टिन लैंगर जैसे बल्लेबाज थे, जिसके चलते इनके लिए टॉप आर्डर में खेलना तो मुश्किल था पर जब इन्हें मौका मिला तो कैटिच ने अच्छा प्रदर्शन भी किया.

साल 2010 में एक इंजरी की वजह से अपनी जगह गवानी पर और फिर वो टीम में कभी वापस नहीं आ पाए. कुछ लोग बताते है की की उनको टीम में न लिए जाने के पीछे कैटिच और माइकल क्लार्क के बीच हुई कहा सुनी बड़ी वजह बनी है. डोमेस्टिक क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे कैटिच को जब चयनकर्ता नजर अंदाज करते रहे तो कैटिच ने विफर कर सेलेक्टर्स को बहुत खरी-खोटी बातें कही और संन्यास की घोषणा कर दी.

4. एंडी फ्लावर और हेनरी ओलंगा

जिम्बाब्वे क्रिकेट के लिए 2003 का वर्ल्ड कप काफी महतवपूर्ण था, टीम के काफी खिलाड़ी उस समय एक बड़े राजनितिक खतरे से गुजर रहे थे. ख़बरों की माने तो जिम्बाब्वे के तानाशाह रोबर्ट मोगाबे ने नस्लभेद की एक कोटा प्रणाली बनायीं थी, जिसमें कुछ ब्लैक क्रिकेटर्स ही टीम के लिए खेल सकते थे. इसी नियम के चलते क्रिकेटर एंडी फ्लावर एवं हेनरी ओलंगा ने विरोध जताया लेकिन उनको इसकी एक बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी.

मुगाबे की राजनीति के चलते ही एंडी फ्लावर को संन्यास लेना पड़ा. उधर मुगाबे ने ओलंगा के खिलाफ गिरफ़्तारी के वारंट निकाल दिए, जिसके चलते ओलंगा को जिम्बाब्वे छोड़ना पड़ा और वह छुपकर इंग्लैंड चले गये जहां बाद में ओलंगा ने इस देश की नागरिकता ले ली. इस घटना से ओलंगा और एंडी फ्लावर का क्रिकेट करियर तो ख़त्म हुआ ही साथ-साथ खिलाड़ी हीथ स्ट्रीक, कौम्प्वेल, ग्रांट फ्लावर जैसे कई अन्य खिलाड़ियों को भी झटका लगा था.

5. केविन पीटरसन

इंग्लैंड की टीम के सबसे टैलेंटेड और स्टाइलिश खिलाडी केविन पीटरसन क्रिकेट जगत का काफी बड़ा नाम है. वो हमेशा ही विवादों के चलते चर्चा में बने रहते है. इंडियन प्रीमियर लीग जैसी लीग के समर्थन में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड शुरुआती दौर में कभी समर्थक नहीं रहा है. इसी के लिए आवाज उठाने के चक्कर में पीटरसन को क्रिकेट छोड़ना पड़ा.

पीटरसन ने ईसीबी को गलत ठहराने के लिए बहुत गलत तरीके से उकसाने का कम किया. हालांकि पीटरसन उस समय भी अपने जबरदस्त खेल के के कारण टीम में बने रहे. साल 2012 में पीटरसन साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन वो उस मैच में पीटरसन अफ्रीकन खिलाड़ियों को मेसेज के मामले में दोषी पाए गए, जिसके चलते उस समय मैनेजमेंट ने पीटरसन को बाहर कर दिया.

बाद में पीटरसन ने कहा की उन्होंने जितने भी खिलाड़ियों को मैसेज किया वो उनके दोस्त थे. ईसीबी ने बाद में पीटरसन को भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मौका जरूर दिया, जहां पीटरसन ने इस सीरीज को जीतने में भी अहम भूमिका निभाई लेकिन उस दौर के बाद पीटरसन चयन समिति की खास पसंद नहीं रहे.

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