Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद में इस शिव भक्त ने घुस कर ढ़ूंढे थे मंदिर के अंश, खुद बताई आखों देखी

By Satyodaya On May 21st, 2022
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद में इस शिव भक्त ने घुस कर ढ़ूंढे थे मंदिर के अंश, खुद बताई आखों देखी

Gyanvapi Masjid Case: यूपी के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का मसला अब तो बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में खत्म हुए सर्वे की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह बताया गया कि मस्जिद में मंदिर होने के कई सारे प्रमाण प्राप्त हुए हैं। ऐसे में एक शख्स ऐसा भी था जो मस्जिद से मंदिर के प्रमाण जुटाने के लिए मुस्लिम बनकर ज्ञानवापी मंदिर में प्रवेश किया था। जी हां, हम बात कर रहे हैं हरिहर पांडे की। इस मसले पर हरिहर पांडे ने एक बातचीत में बताया कि 1991 में उन्होंने ज्ञानवापी में क्या देखा था।

मंदिर के देखे थे सबूत

उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि मंदिर के सबूतों को इकट्ठा करने के लिए 1991 में मुस्लिम बनकर ज्ञानवापी मस्जिद पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वह बाबा विश्वनाथ के पक्ष में सबूत इकट्ठा करने ज्ञानवापी मंदिर में हरिहर ने बताया कि उस समय में रात 1 बजे जालीदार टोपी पहनकर ज्ञानवापी में पहुंचा मैंने अपनी आंखों से देखें और कोर्ट को आकर बता दिया।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने कलश, कमल, हाथी, मगरमच्छ की आकृतियां भी देखी। मैंने देखा कि मंदिर के मलबे को पत्थरों से ढक दिया गया है और उसके ऊपर इमारत बनाई गई है। मलबा हटाना चाहिए । मलवा हटेगा तो ज्योतिर्लिंग दिखेगा। परिसर में कई सारे शिवलिंग मिलेंगे।

क्या है समाधान

हरिहर पांडे ने बातचीत के दौरान कहा कि उनके खुलासे के बाद मुस्लिम पक्ष में उनसे मिलने पहुंचा था और पूछा था कि समाधान के क्या विकल्प है। इस पर उन्होंने कहा कि मैंने मुस्लिम पक्ष को बोला है कि सड़क किनारे मेरी 8 बीघे जमीन आप ले लीजिए और मस्जिद वहां सेट कर लीजिए। वह उसमें तैयार नहीं हुए फिर मैंने यह भी कहा कि हम अंदर लेकर रहेंगे और फिर मुस्लिम पक्ष चला गया। मैं आखिरी व्यक्ति इस केस में जिंदा बचा हूं मेरे साथ के 2 पक्षकारों की मौत हो चुकी है। आखिरी सांस तक मैं यह कहूंगा। मेरे बेटे लड़ेंगे लेकिन बाबा विश्वनाथ को आजाद करा के रहेंगे।

ज्ञानवापी का अर्थ

इसी के साथ भी हरिहर पांडे ने यह भी बताया कि देश की जनता को यह भी पता होना चाहिए कि ज्ञान को और ज्ञान व्यापी का अर्थ क्या है उन्होंने बताया कि जब शिव जी पार्वती जी के साथ काशी आए थे तो स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक के लिए जल की आवश्यकता थी जिसके लिए शिव जी ने अपने त्रिशूल के ज्ञानकूप बनाया और जलाभिषेक किया। इसी स्थान पर प्रयोग पार्वती जी को शिव जी ने ज्ञान दिया था। इसलिए यह परिषद ज्ञानव्यापी कहलाता है।

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