षटतिला एकादशी व्रत करने से दूर हो जाती हैं घर की दरिद्रता, जानें उपवास की पूरी विधि

By RAHUL SINGH On January 27th, 2022
षटतिला एकादशी

हर महीने एकादशी 15 दिन पर एक बार पड़ती है. इस व्रत का हिन्दुओं में काफी मान्यता है. पहले पक्ष को कृष्ण पक्ष और दूसरे को शुक्ल पक्ष कहते हैं. इस नए साल में यह एकादशी 28 जनवरी को पड़ रही है. हिन्दू मान्यता के अनुसार यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है.  जानकारी के मुताबिक षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल चढ़ाते और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है षटतिला एकादशी के दिन तिल दान सोने के दान के बराबर होता है. जो लोग ऐसा करते हैं उन पर भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है.

षटतिला एकादशी की ऐसे करें पूजा

षटतिला एकादशी 27 जनवरी को रात 02 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो कि 28 जनवरी की रात 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त भी हो जाएगी. ऐसे में एकादशी व्रत उदया तिथि में 28 जनवरी को सभी लोग करेंगे. इस व्रत को जो लोग करते हैं उन्हें तिल का खूब इस्तेमाल करना चाहिए. तिल से 6 तरह का स्नान, और भी चीजों में बस उसी का सेवन करना चाहिए.

जो लोग इस षटतिला एकादशी का व्रत करते हैं. उन्हें सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.  नहाने के बाद जहां पूजा करनी हो उसे साफ़ करना चाहिए. और भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर उनकी पूजा करनी चाहिए.

भक्तों को विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए. वहीं पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करना चाहिए. इसके बाद भोग, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित कर दें. उसके बाद अगली सुबह यानी द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन करने के बाद षट्तिला एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए.

जानें इस व्रत की कथा

एक महिला थी उसके बाद आपार धन-संपत्ति की मालकिन थी. उनके पास इतना धन था कि वह गरीबों और जरूरतमंदों को खूब देती थीं. सभी को कपडे, सामान और भी बहुत कुछ दान में देती थी, लेकिन वह खाना किसी को भी नहीं देती थी. ऐसा माना जाता है सभी दानों में भोजन सबसे महत्वपूर्ण दान है. जो मिला कभी नहीं करती थी.

ऐसे में भगवान विष्णु ने उन्हें समझाने के लिए भिखारी के रूप में प्रकट हुए और उनके दरवाजे पहुंचे. महिला ने उन्हें धन और सामान ही दान में दिए, लेकिन भगवान विष्णु ने उनसे खाना मांगा और महिला ने गुस्से में उनके बर्तन में मिट्ठी डालकर भगा दिया. जिसके बाद जब महिला घर के अंदर खाने के लिए गई तो सब कुछ मिट्ठी का बन चुका था. वह जो भी खरीदकर भी लाती वह भी मिटटी का हो जाता है. खाने के बिना महिला कमजोर होने लगी उसके बाद उसने भगवान की पूजा की और भगवान विष्णु सपने में आकर महिला से षटतिला एकादशी व्रत करने को कहा और ये भी कहा कि वह इस दिन गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन कराए. इतना ही नहीं इस दिन तिल का भी दान करें. महिला के ऐसा करते ही उसके घर में फिर से सुख-शांति के साथ यश और विभव लौट आया.

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